Janmashtami 2025 Date: हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बहुत खास माना जाता है। यह भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जिन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। इस साल 2025 में अष्टमी तिथि दो दिनों तक रहने से लोग थोड़े असमंजस में हैं कि जन्माष्टमी कब मनाई जाए। इस लेख में हम आपको जन्माष्टमी की सही तिथि, पूजा का समय और मंत्रों के बारे में आसान भाषा में बताएंगे.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2025 की तिथि
पंचांग के अनुसार, श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस साल अष्टमी तिथि दो दिन रहेगी, लेकिन ज्योतिषियों के अनुसार, सही तिथि का चयन पूजा के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ तिथि का विवरण है:
- अष्टमी तिथि शुरू: 15 अगस्त 2025 को रात 8:19 बजे
- अष्टमी तिथि खत्म: 16 अगस्त 2025 को शाम 6:04 बजे
- जन्माष्टमी तिथि: श्री कृष्ण जन्माष्टमी 15 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
इसलिए, 15 अगस्त को जन्माष्टमी का उत्सव मनाना सबसे उपयुक्त होगा, क्योंकि यही तिथि मुख्य रूप से पूजा के लिए शुभ मानी जा रही है।

पूजा का शुभ समय
जन्माष्टमी की पूजा आमतौर पर मध्यरात्रि में की जाती है, क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म रात में हुआ था। 2025 में पूजा का शुभ समय इस प्रकार है:
- पूजा मुहूर्त: 16 अगस्त 2025 को रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक
- कुल समय: 43 मिनट
- मध्यरात्रि क्षण: 16 अगस्त को सुबह 12:26 बजे
- चंद्रोदय: 16 अगस्त को रात 10:46 बजे
यह छोटा समय पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दौरान भगवान कृष्ण की पूजा, भजन और आरती करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है।
रोहिणी नक्षत्र का समय
रोहिणी नक्षत्र जन्माष्टमी का महत्व बढ़ाता है, क्योंकि श्री कृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था। 2025 में रोहिणी नक्षत्र का समय इस प्रकार है:
- रोहिणी नक्षत्र शुरू: 17 अगस्त 2025 को सुबह 4:38 बजे
- रोहिणी नक्षत्र खत्म: 18 अगस्त 2025 को सुबह 3:17 बजे
हालांकि, पूजा के लिए अष्टमी तिथि को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन अगर आप रोहिणी नक्षत्र में पूजा करना चाहते हैं, तो 17 अगस्त को सुबह का समय चुन सकते हैं।
व्रत पारण का समय
जन्माष्टमी पर कई लोग व्रत रखते हैं, जिसका पारण (व्रत खोलना) सही समय पर करना जरूरी है। 2025 में पारण का समय इस प्रकार है:
- पारण समय: 16 अगस्त 2025 को सुबह 12:47 बजे के बाद
- वैकल्पिक समय: 16 अगस्त को रात 9:34 बजे से
पारण करने से पहले भगवान कृष्ण को भोग लगाएं और फिर प्रसाद ग्रहण करें। यह व्रत भक्ति और अनुशासन का प्रतीक है।
जन्माष्टमी पर पढ़ें ये मंत्र
पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करने से भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यहाँ कुछ आसान और प्रभावी मंत्र दिए गए हैं, जिन्हें आप जन्माष्टमी पर पढ़ सकते हैं:
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
- ॐ कृं कृष्णाय नमः
- क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः
- ॐ नमः भगवते श्रीगोविन्दाय
- ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा
ये मंत्र छोटे और सरल हैं, जिन्हें पूजा, भजन या ध्यान के दौरान आसानी से जाप सकते हैं। इन्हें कम से कम 11 बार या 108 बार पढ़ना शुभ माना जाता है।
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