Kerala High Court Verdict 2025: केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बेहद ही जरूरी फैसला सुनाया है। यह नया फैसला सुओ मोटो के निर्णय के अंतर्गत सुनाया गया है। इस निर्णय में अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी अदालत किसी भी मुद्दे पर खुद से नया सवाल नहीं उठा सकती जब तक की किसी पक्ष ने उस मुद्दे को उठाया ना हो। बता दे हाल ही में Kerala High Court Verdict में एक मुद्दा सामने आया था
जिसमें जायदाद के बंटवारे और वसीयत से जुड़े विवाद को उठाया गया। इस केस में एक महिला ने अपील की थी कि उसे अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए परंतु दूसरे पक्ष ने कोर्ट में वसीयत पेश की जिसमें पिता ने सारी संपत्ति एक ही बेटी को देने की बात कही गई थी। इसपर ऊपरी अदालत ने केस दायर करने वाली बेटी के बिना कहे ही दूसरी बेटी को आरोपी घोषित कर दिया।
Kerala High Court Verdict 2025 में इसके को लेकर काफी लंबी बहस चली जिसके बाद Kerala High Court ने निर्णय स्पष्ट कर दिया इस बात को लेकर Kerala High Court ने वसीयत से जुड़े विवाद अन्य विवादों भी नई दिशा दे दी है जिसकी वजह से आने वाले समय में न्यायिक प्रक्रिया काफी आसान हो जाएगी। खासकर वसीयतों के मामले में कोई भी व्यक्ति अदालत पर सवाल नहीं उठा पायेगा।
क्या था यह मुद्दा
जैसा कि हमने बताया यह मुद्दा Kerala राज्य का मुद्दा था जिसमें एक पिता ने अपनी एक बेटी सारण्या के नाम सारी वसीयत लिख दी जिस पर दूसरी बेटी वादी ने आपत्ति दर्ज कराई और इसे कोर्ट में चुनौती दी और सम्पत्ति पर हक मांगा। हालांकि निचली अदालत ने इस वसीयत को कानूनी तरीके से सही बात माना और कहा कि दूसरी बेटी को हिस्सा नहीं मिलेगा। ऐसे में दूसरी बेटी वादी ने ऊपरी अदालत में अपील की और ऊपरी अदालत ने कहा कि उन्हें वसीयत में शक है और सारण्या को वसीयत में फेर बदल करने का आरोपी बताया।
इस मामले में Kerala High Court Verdict सुनाया
इस मामले में Kerala High Court Verdict 2025 सुनाया की अदालत खुद से नया मुद्दा नहीं उठा सकती जब तक की कोई पक्ष उस Issues को उठाना न चाहे। जब एक बेटी ने केवल संपत्ति में हिस्सा मांगा तो ऊपरी अदालत ने दूसरी बेटी पर आरोप लगाते हुए वसीयत पर शक जताया। ऐसा करने का किसी भी अदालत को हक नहीं है। High Court ने साफ कहा कि यदि एक बच्चा कहता है कि उसे संपत्ति में हक नहीं दिया गया और दूसरे को दिया गया है तो इससे यह सिद्ध नहीं होता की वसीयत गलत है और जब तक अपीलकर्ता खुद इल्जाम ना लगाए तब तक कोर्ट किसी को भी गुनहगार नहीं बता सकती।
इस केस का क्या निष्कर्ष निकलता है
इस Kerala High Court Verdict का आसान निष्कर्ष यह निकलता है कि कोर्ट का काम है न्याय करना ना कि खुद से मुद्दा खोजना, यदि वसीयत सही तरीके से बनी है और किसी को हिस्सा नहीं मिला है तो ऐसे में कोई भी ऊपरी या नीचली अदालत वसीयत को गलत नहीं बता सकती । ऐसे में हाई कोर्ट ने ऊपरी अदालत को सीमाएं समझने की हिदायत भी है और उन्हें स्पष्ट कर दिया है कि ऊपरी अदालत केवल पक्षकार द्वारा सामने रखी गई बातों पर ही निर्णय सुनाए ना की एक Issues से दूसरा मुद्दा उठाएं।
इस फैसले का व्यापक प्रभाव – वसीयत विवादों में अब क्या बदलेगा?
1. वसीयत की वैधता का नया आधार तय
अब से, अगर कोई वसीयत (Registered will) कानूनन सही तरीके से बनाई गई है, तो अदालतें उसे केवल इस आधार पर खारिज नहीं कर सकतीं कि सभी वारिसों को समान भाग नहीं मिला।
2. जजों को ‘सुझाव देने’ से अधिक का अधिकार नहीं
जब तक कोई पक्ष किसी Issues को लेकर कोर्ट में नहीं आता, तब तक अदालत का काम केवल निर्णय सुनाना है, नए सवाल खड़े करना नहीं।
3. अपील की सीमाएं तय
Kerala High Court ने स्पष्ट कहा कि ऊपरी अदालत (Appellate Court) को केवल उन्हीं मुद्दों पर निर्णय सुनाना है जिन्हें अपीलकर्ता ने उठाया हो।